चोंगली पूर्वज कथा: नागा लोक-कथा
('आओ' नागा के चोंगली उपकुल द्वारा कथित)
प्राचीन काल मे एक स्थान पर तीन भाई रहते थे । आगे चलकर जिनमे सबसे बड़ा भाई 'आओ' नागा का पूर्वज हुआ, मंझला कोनयक तथा अन्य नागा जातियों का पूर्वज बना और् असमिया जाति का पूर्वज सबसे छोटा भाई हो गया ।
साथ रहते हुए वे अति निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रहे थे । उन तीनो के पास मात्र दो वस्त्र थे, एक वस्त्र का प्रयोग बड़ा भाई करता था तथा शेष दोनो दूसरे वस्त्र के भागीदार थे ।
एक रात जब वे सब सो रहे थे, बड़े भाई ने अपना वस्त्र ढांप रखा था तथा दोनो छोटे भाई एक् ही वस्त्र ढांपे सो रहे थे, छोटे भाई की नींद टूट गयी । बड़े भाइयों को निद्रा मे लीन देखकर उसने सोचा कि दरिद्रता के जीवन से छुटने का यही अवसर है, और वह अपना और मंझले भाई का वस्त्र लेकर मैदानी क्षेत्र की ओर भाग गया तथा वहीं बस गया । शेष दोनो उसी पहाड़ी क्षेत्र मे बसे ।
चोंगली आओ बताते हैं कि यही कारण है कि असमिया लोग अत्याधिक मात्रा मे वस्त्र पहनते हैं, कोनयक तथा अन्य नागा जातियां नग्न रहती हैं तथा आओ नागा आवश्यकता अनुसार वस्त्र धारण करते हैं ।
(सीमा रिज़वी)
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